tantra mantra vidya | dakshinavarti shankh | ekakshi nariyal pooja | hatha jodi tantra
tantra mantra vidya तांत्रिक वस्तुए का चमत्कार
Dakshinavarti shankh दक्ष्णिवर्ती शंख :-
एक समुंदरी-जीव होता है इसका अस्थि- निर्मित खोल ही "शख" कहलाता हैl इसे
बहुत पवित्र, विष्णु -प्रिय और लक्ष्मी -सहोदर माना जाता है l यह
देव-प्रतिमा कि भांति पूज्य होता है l सामंत्ये सभी
शंख वाममुखी होती है l उनकी पूजा का फल सामान्य कहा गया है l किन्तु कुश
शंख (जाति- विशेस के) वाममुखी न होकर, दक्ष्णिमुखी होते है l ये विशेस
पवित्र , प्रभावी, शुभ और सिधिप्रद कहे गए है l
कदाचित अपने इन्ही गुणों के कारण ये दुर्लभ होते है l ऐसा शंख प्रयाप्त हो
जाने पर उसकी पूजा अवश्य करनी चाहिए l
मान्यता है कि जिस घर मे दक्ष्णिवर्ती शंख रहता है , वहा श्री-समृधि भी अवशय होती है l यदि कही मिल जाए (शंख टुटा- फुटा , विकृत नहीं होना चाहिए l ) तो उसे लाकर किसी शुभ- मुहूर्त मे पंचामृत, दूध, गंगाजल, अथवा सादे शुद्ध जल से स्नान कराकर धुप-दीप से पूजाकरके चांदी के आसान पर प्रतिस्ष्ट करना चाहिए l दैनिक-पूजा के रूप मे उसे धुप-दीप रहने से लक्ष्मी जी कृपा अवश्य प्रयाप्त होती है l
Ekakshi nariyal एकाशी नारिकेल :-
समुंदर-तट पर उत्तपन होने वाला नारियल सर्वसुलभ फल है l इसकी गिरी को मेवा मन जाता है l सुखी गिरी को "गिरी" कहते है l समूचे फल कि स्थिति मे , इसके गोले पर तीन बिंदु पाए जाते हैl ये उस गोले के नेत्र है l कभी- कभी केवल एक बिंदु (नेत्र ) वाला गोला दीख जाता है l यह परम दुर्लभ है, किन्तु पवित्र और प्रभावशाली होता है l यदि कही प्रयाप्त ही जाए, टी लाकर शुभ- मुहर्त मे देव-प्रतिमा कि भाति उसकी पूजाकरके पवित्र स्थान मे रख देना चाहिए l यह भी सम्पति-वैभव, लक्ष्मी और धन-धान्य कि वृद्धि करता है l लक्ष्मी कि कृपा प्रयाप्त करने का यह श्रेठ किन्तु दुर्लभ साधन है l
Hatha jodi tantra हाथाजोडी:-
यह एक अति दुर्लभ जड़ी है l खोजने पर वन-वासियों से प्रयाप्त हो जाती है l इसे कही से भी रविवार के दिन प्रयाप्तकरके स्नान कराकर पूजा कि जाए और तत्प्स्यात तिल्ली के तेल मे डुबोकर रख दिया जाए तो दो सप्ताह मे यह काफी तेल पी जाती है l बाद मे इसे निकाल कर फिर से गायत्री-मन्त्र से पूजकर सिदुर, कपूर, लोंग इलाचयी और तुलसीपत्र के साथ चाँदी कि डिब्बी मे रख देना चाहिए l यह प्रबल शक्तिशाली, वस्तु है l विवाद, मुकदमा, शत्रु-संघर्ष , दारिद्रय, शास्त्र्घात, दुर्घटना आदि के निवारण मे इसका चमत्कारी प्रभाव दृष्टीगोचर होता है l इसमें वशीकरण-शक्ति भी रहती है l विधिवत सीढ़ी कि हुई हाथाजोडी को धारणकरके व्यक्ति कही भी जाए, वह सुरक्षित और विजयी होता रहता हैl
सियार सिंगी :-
सामान्तया इसे गीदड़ -सिंगी अथवा सियार सिंगी कहते है l सियार एक वन्य-जीव है l इसके सिंग नहीं होती, पर अपवाद-स्वरूप किसी - किसी के शरीर मे अचानक से उभर आती है उस समय वह पीड़ा से चिललाता है, शिकारी ऐसे समय मे उसे पहचान कर उसे मार देते है और सियार सिंगी को काट लेते है आकार मे यह छोटी -बड़ी चपटी- गोल किसी भी तरह कि ही सकती हैl मगर आवले से जायदा बड़ी नहीं होती है l यदि किसी को मिल जाए तो इसे शुभ नक्षत्र मे विधि विधान से पूराकरके सिद्धि कर लेनी चाहिए l कहा जाता है कि यदि इसे हत्या के साथ रखा जाए तो यह बहुत शक्तिशाली ही जाती है l
धन-सम्पति, वशीकरण, शत्रु शमन मे व्यक्ति सशक्त ही जाता है l जिस व्यक्ति के पास यह होती है l उसे किसी बात कि कमी नहीं होती l उसकी सारी इछचाये अपने आप पूरी हो जाती है l
इस लेख के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार के शंका समाधान या फ़ोन पर अपनी जन्मपत्रिका के विस्तृत फलादेश या किसी समस्या के समाधान के लिए आप फ़ोन द्वारा संपर्क कर सकते है |

मान्यता है कि जिस घर मे दक्ष्णिवर्ती शंख रहता है , वहा श्री-समृधि भी अवशय होती है l यदि कही मिल जाए (शंख टुटा- फुटा , विकृत नहीं होना चाहिए l ) तो उसे लाकर किसी शुभ- मुहूर्त मे पंचामृत, दूध, गंगाजल, अथवा सादे शुद्ध जल से स्नान कराकर धुप-दीप से पूजाकरके चांदी के आसान पर प्रतिस्ष्ट करना चाहिए l दैनिक-पूजा के रूप मे उसे धुप-दीप रहने से लक्ष्मी जी कृपा अवश्य प्रयाप्त होती है l
Ekakshi nariyal एकाशी नारिकेल :-
समुंदर-तट पर उत्तपन होने वाला नारियल सर्वसुलभ फल है l इसकी गिरी को मेवा मन जाता है l सुखी गिरी को "गिरी" कहते है l समूचे फल कि स्थिति मे , इसके गोले पर तीन बिंदु पाए जाते हैl ये उस गोले के नेत्र है l कभी- कभी केवल एक बिंदु (नेत्र ) वाला गोला दीख जाता है l यह परम दुर्लभ है, किन्तु पवित्र और प्रभावशाली होता है l यदि कही प्रयाप्त ही जाए, टी लाकर शुभ- मुहर्त मे देव-प्रतिमा कि भाति उसकी पूजाकरके पवित्र स्थान मे रख देना चाहिए l यह भी सम्पति-वैभव, लक्ष्मी और धन-धान्य कि वृद्धि करता है l लक्ष्मी कि कृपा प्रयाप्त करने का यह श्रेठ किन्तु दुर्लभ साधन है l
Hatha jodi tantra हाथाजोडी:-
यह एक अति दुर्लभ जड़ी है l खोजने पर वन-वासियों से प्रयाप्त हो जाती है l इसे कही से भी रविवार के दिन प्रयाप्तकरके स्नान कराकर पूजा कि जाए और तत्प्स्यात तिल्ली के तेल मे डुबोकर रख दिया जाए तो दो सप्ताह मे यह काफी तेल पी जाती है l बाद मे इसे निकाल कर फिर से गायत्री-मन्त्र से पूजकर सिदुर, कपूर, लोंग इलाचयी और तुलसीपत्र के साथ चाँदी कि डिब्बी मे रख देना चाहिए l यह प्रबल शक्तिशाली, वस्तु है l विवाद, मुकदमा, शत्रु-संघर्ष , दारिद्रय, शास्त्र्घात, दुर्घटना आदि के निवारण मे इसका चमत्कारी प्रभाव दृष्टीगोचर होता है l इसमें वशीकरण-शक्ति भी रहती है l विधिवत सीढ़ी कि हुई हाथाजोडी को धारणकरके व्यक्ति कही भी जाए, वह सुरक्षित और विजयी होता रहता हैl
सियार सिंगी :-
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आचार्य पीयूष वशिष्ठ ( गोल्ड मेडलिस्ट )
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Astrologer Peeyush Vashisth ( Gold Medalist )
(Shastri, Acharya, M phil., Phd.)
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